बेतिया : काली बाग मंदिर का इतिहास
एक लेखक दूसरों के बारे में जरूर लिखता है लेकिन बहुत कम यह देखने को मिलता है कि वह अपने या अपने शहर के बारे में लिखे, जिस शहर में वह पैदा हुआ, जहां वह पला बढ़ा और जवान हुआ, जिस शहर ने उसे यहां तक पहुंचाया। तो आइए हम अपने शहर के बारे में दूसरों को कुछ विशेष बताने की एक छोटी - सी प्रयास कर रहे हैं। बेतिया राज के एक संक्षिप्त इतिहास पर एक नज़र डालते है।
पश्चिम चंपारण का मुख्यालय बेतिया भारतवर्ष के प्राचीनतम इतिहास का धरोहर कहा जाए तो गलत नहीं होगा। बेतिया का इतिहास मुगल साम्राज्य के शाहजहां के दौर से शुरू होता है। हमारे शहर बेतिया में सदियों पुरानी ऐतिहासिक धरोहर मौजूद है, ऐतिहासिक धरोहरों में हमारा शहर काफी धनी थे।
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शाहजहां के दौर में बताया जाता है कि शाहजहां के तहसीलदारों में बेतिया राज के पहले राजा भी थे। शाहजहां ने पश्चिम चंपारण बेतिया राजा को तहसील में दिया था। बेतिया के ऐतिहासिक धरोहर में प्राचीनतम इतिहास हमारे काली बाग मंदिर का है.
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Photo of Kali Bagh Mandir |
बेतिया राज से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बेतिया राज मैनेजर ऑफिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार बेतिया राज द्वारा कुल 56 मंदिरों के रिकॉर्ड मौजूद है, जिसमें 55 मंदिर पश्चिम चंपारण में तथा एक मंदिर बनारस में बेतिया राज द्वारा निर्माण कराए जाने की पुष्टि होती है, बेतिया राज द्वारा तीन प्रमुख मंदिरों का ज़िक्र सामने आता है जिनमे में बाग [ फुलवारी ] शब्द लगा हुआ है, जैसे दुर्गा बाग, प्यूनी बाग एवं काली बाग [ "बाग" का अर्थ फूलों के फुलवारी से है ] हम यहां चर्चा काली बाग मंदिर की कर रहे हैं.
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कली बाग मंदिर 13 एकड़ भूमि पर अवस्थित है जिसमें मूल मंदिर 6 एकड़ में है जिस के बीचो बीच एक बड़ा सा पोखरा या तालाब है, इस मंदिर परिसर के बाहर फूलों के बाग हुआ करता था, जैसा कि मैंने ऊपर बताया है तीनों मंदिरों में रंग-बिरंगे खूबसूरत और खुशबूदार फूलों के बाग थे. काली बाग मंदिर में फुलवारी की देखरेख के लिए सात माली भी रखे गए थे जिनमें कुछ आज भी मौजूद है.
काली बाग मंदिर के बाहर दक्षिण ओर महारानी का कमरा है, जिसमें एक सुरंग है मंदिर के मुख्य द्वार से दाहिनी ओर अष्ट भैरव की मूर्ति एवं बायें ओर पंच वाहन मंदिर है हम मुख्य द्वार से अपनी दाहिनी ओर अर्थात पश्चिम की दिशा में बढ़ते हैं तो पहले हम देखते हैं
काली बाग मंदिर में कुल पांच प्रमुख मंदिर अवस्तिथ हैं.
- काली माता, दशोमहाविद्या, नवो दूर्गा.
- महाकाली माता, चतुर्थ खषट योगिनी.
- दशावतार मंदिर, पंचगंगा, राधा कृष्ण, 56 विनायक गणेश जी, रिद्धि-सिद्धि, महामृत्युंजय.
- एकादश रूद्र मंदिर, दशो दृगपाल, पति पावनेश्वर, महादेव मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर.
- द्वारदश कला सुर्य नारायण मंदिर, नवो ग्रहों की महादशा, ऋषि मंदिर, पांचो पांडव, द्रोपति माता के साथ अग्नि देवता,स्वाहा माता, गायत्री माता, सावित्री माता, अरुंधति माता, रौद्री माता, मंशा देवी माता, लालसा माता, श्याम कार्तिकेय [जहाँ औरतों का जाना मना है] महाराज एवं अन्य.
बेतिया में सागर पोखरा, संतघाट मंदिर, काली बाग मंदिर, बेतिया राज दरबार से कुछ दूरी पर स्थित है। इसके बारे में यह प्रमुख बातें सामने आती है कि राज महल से रानी जमीन के अंदर सुरंग के रास्ते से काली बाग मंदिर में पूजा करने जाया करती थीं।
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काली बाग मंदिर का मेन गेट उत्तर की ओर खुलता है। इससे अंदर जाने पर दाहिने और बाएं ओर पहले दो कमरों में द्वारपालों की मूर्तियां हैं, दाएं हाथ पश्चिम की ओर बढ़ने पर मंदिर की चौहद्दी में, दक्षिणेश्वर काली (जिनका मुँह दक्षिण की ओर है) की भव्य मंदिर है, दक्षिण की ओर भगवान शिव हैं तो पूरब में सूरज सूर्य नवग्रह का मंदिर पश्चिम दिशा में विष्णु दशावतार के मंदिर तथा पश्चिम दक्षिण के कोने पर विनायक गणेश की एक मूर्ति है जिसमें 108 छोटी मूर्तियां, इस मंदिर में दक्षिण की ओर कोने में भगवान कार्तिकेय की एक मंदिर है, इन मंदिरों के बीचो बीच एक शानदार पोखरा है जिसके बारे में बताया जाता है कि इसके अंदर सात कुँए हैं।
राज दरबार से काली बाग मंदिर तक आता है एक सुरंग
इस मंदिर के नीचे से जमीन के अंदर वह रास्ता भी है जहां से राज महल तक आप पहुंच सकते हैं जो वर्षों से बंद पड़ा है इसी रास्ते से बेतिया महाराज की रानी काली मंदिर में पूजा के लिए आया करती थीं।
कहा जाता है कि इस तरह का मंदिर एशिया में सिर्फ दो ही जगह है एक कोलकाता में और दूसरा हमारे बेतिया शहर में जिसमें दक्षिणेश्वर काली की महत्वपूर्ण मंदिर है, जहा तांत्रिक तंत्र विद्या की सिद्दी के लिए दूर-दूर से आया करते थे। जिसमें काली का मुंह दक्षिण की ओर है यही इसकी महत्ता है। इसका इतिहासिक महत्व इसलिए भी है कि यहाँ हिन्दू धर्म के 56 कोट के सभी देवी देवताओं की प्रतिमाएँ हैं।
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