बेतिया अपनी ऐतिहासिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ कई सदियों पुराने धरोहर मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है Government Medical College, Bettiah (GMCH Bettiah), जिसका इतिहास समृद्ध और गौरवशाली है, यह कॉलेज पहली बार 1892 में बेतिया राज की भूमि पर महाराजा हरेंद्र किशोर द्वारा ₹40,897 की लागत से बनवाया गया था।
बाद में, 15 जनवरी 1934 को आए विनाशकारी भूकंप में इसे गंभीर क्षति पहुँची। इसके पुनर्निर्माण की पहल बेतिया राज प्रबंधन द्वारा की गई, और 26 मार्च 1936 को इसे दोबारा स्थापित किया गया। उस समय, कॉलेज का नाम ब्रिटेन के राजा King Edward VII के सम्मान में रखा गया था। यह संस्थान न केवल बेतिया की चिकित्सा शिक्षा का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक धरोहर का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
GMCH Bettiah: नाम परिवर्तन का ऐतिहासिक सफर और पहचान
इस अस्पताल का नाम समय-समय पर कई बार बदला गया है, जो इसके गौरवशाली इतिहास और
बदलते प्रशासनिक दौर को दर्शाता है। प्रारंभ में, इसे लेडी डफरिन अस्पताल
के नाम से जाना जाता था, जो ब्रिटिश शासनकाल में महिला स्वास्थ्य सेवाओं को
बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था। बाद में, इसका नाम
महारानी जानकी कुँवर अस्पताल (MJK अस्पताल, बेतिया) कर दिया गया, जो
बेतिया राज की समृद्ध धरोहर से जुड़ा हुआ था।
MJK से GMCH तक: नाम बदलने की कहानी
2007 में, इस अस्पताल का नाम बदलकर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, बेतिया (GMCH Bettiah) कर दिया गया, जिससे इसे सरकारी चिकित्सा महाविद्यालय का दर्जा प्राप्त हुआ। हालांकि, आज भी कई स्थानीय लोग इसे महारानी जानकी कुँवर अस्पताल के नाम से ही जानते और पुकारते हैं,
गौरतलब है कि कई बार स्थानीय नागरिकों और समाजसेवियों ने इसके नाम को 'महारानी जानकी कुँवर अस्पताल' के रूप में बनाए रखने की मांग की। कई बार प्रदर्शन भी हुए, जिसमें लोगों ने दलील दी कि इस अस्पताल का नाम ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा हुआ है, जिसे बनाए रखना चाहिए।
अस्पताल की स्थापना और प्रारंभिक प्रबंधन
इस अस्पताल की स्थापना बेतिया राज के संरक्षण में हुई थी और यह शुरू में एक महिला अस्पताल के रूप में कार्यरत था। उपलब्ध ऐतिहासिक जानकारी के अनुसार, 1893 में यहां पहली बार डॉक्टर के रूप में लेडी मिस जेनी मार्श (RCPL, RCS – एडिनबर्ग, LRPG – ग्लास्गो) को नियुक्त किया गया था। यह अस्पताल खासकर महिलाओं और बच्चों के लिए चिकित्सा सुविधाएँ प्रदान करने हेतु स्थापित किया गया था।
उस समय, बेतिया राज के अंतिम राजा महाराजा हरेंद्र किशोर का निधन हो चुका था, और
1897 में बेतिया राज, कोर्ट ऑफ वार्ड्स के अधीन चला गया था।
प्रारंभिक डॉक्टर और चिकित्सा सेवाएँ
लेडी मिस जेनी मार्श को उस समय ₹250 मासिक वेतन और ₹75 मासिक भत्ता दिया जाता था, जो उस दौर में एक बड़ी रकम मानी जाती थी। बाद में, इस अस्पताल में डॉ. ई. बी. हॉलवे की नियुक्ति हुई, जो उस समय भारत की प्रसिद्ध महिला सर्जनों में से एक थीं।
उनके योगदान के सम्मान में, इस अस्पताल में एक वार्ड का नाम हॉलवे वार्ड रखा गया,
जो आज भी मौजूद है और इस ऐतिहासिक विरासत की गवाही देता है। यह वार्ड न केवल
चिकित्सा सेवा का प्रतीक था, बल्कि महिलाओं की सशक्त भागीदारी का भी उदाहरण
था।
1934 का विनाशकारी भूकंप और पुनर्निर्माण
1934 में आए विनाशकारी भूकंप ने बिहार के कई ऐतिहासिक भवनों को भारी क्षति पहुँचाई, जिसमें बेतिया कैथोलिक चर्च, बेतिया इमामबाड़ा और यह मेडिकल कॉलेज भी शामिल था।
भूकंप के बाद, इस अस्पताल का पुनर्निर्माण किया गया और इसका नाम बदलकर किंग एडवर्ड VII अस्पताल रखा गया। यह नाम ब्रिटिश सम्राट किंग एडवर्ड VII के सम्मान में रखा गया था, जो उस समय ब्रिटिश साम्राज्य के प्रमुख थे।
हालांकि, 1961 में एक बार फिर नाम परिवर्तन हुआ, और इसे महारानी जानकी कुँवर अस्पताल (MJK Hospital) के नाम से जाना जाने लगा।
King Edward VII की मूर्ति और वर्तमान स्थिति
अस्पताल परिसर में एक समय King Edward VII की एक मूर्ति स्थापित थी, जो इस अस्पताल की ब्रिटिश कालीन विरासत को दर्शाती थी। लेकिन बीते कुछ वर्षों में इसे असामाजिक तत्वों द्वारा नुकसान पहुँचाया गया, जिससे इसकी ऐतिहासिक पहचान को आघात लगा।
आज GMCH Bettiah एक आधुनिक चिकित्सा संस्थान के रूप में विकसित हो चुका है, लेकिन इसकी जड़ें बेतिया राज और ऐतिहासिक परिवर्तन से गहराई से जुड़ी हुई हैं।
Courses Offered In GMCH Bettiah:
यह कॉलेज 'आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना बिहार' से मान्यता प्राप्त है तथा इस कॉलेज को 2013 में MBBS के लिए अनुमति दी गई, जिसमें 100 छात्र और छात्राएं थी।
इसके साथ साथ यहां BSc-Nursing और DNB की पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है।
बेतिया मेडिकल कॉलेज में कुल 14 प्रस्तावित पाठ्यक्रम(Courses Offered) किए जाते हैं जिनके 1 अंडर ग्रेजुएशन(UG) में, 8 पोस्ट ग्रेजुएशन(PG) में तथा 5 पैरामेडिकल में, इसके कोर्सेस की सारणी इस प्रकार हैं.
Course Category | Course Name | Seats | Duration | Admission Process |
---|---|---|---|---|
Undergraduation | MBBS (Recognized from NMC) | 120 | 5 years | NEET Examination |
Postgraduate | Anatomy | 2 | 3 years | BCECE & All India PG Exam |
Physiology | 2 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Biochemistry | 2 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Microbiology | 3 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Radiology | 3 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Obstetrics & Gynaecology | 2 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Ophthalmology | 2 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Paediatrics | 2 | 3 years | BCECE & All India PG Exam | |
Para Medical | DMLT | 15 | Not specified | BCECE |
OT Assistant | 15 | Not specified | BCECE | |
OPTH Assistant | 15 | Not specified | BCECE | |
X-Ray Technicians | 15 | Not specified | BCECE | |
Dressers | 30 | Not specified | BCECE |
मौजूदा स्तिथि:
मौजूदा तौर पर बेतिया मेडिकल कॉलेज व हॉस्पिटल(GMCH Bettiah) 29.83 एकड़ में फैला हुआ है, इसी जमीन पर यह कॉलेज है जिसमें अभी सुपर स्पेशलिस्ट(कैंसर, ह्रदय, न्यूरो इत्यादि) को छोड़ कर बाकी सभी सुधाए उपलब्ध हैं।
इस कॉलेज का निर्माण कार्य भी पूरी तरह मुकम्मल हो चुका है, और सारे वार्ड भी कार्यरत हैं। जिसमें 500 बेड का जनरल, 24 बेड का आईसीयू, 20 बेड का कैजुअलिटी, एवं 10 बेड हर वार्ड में मुख्य रूप से शामिल है।
मिली जानकारी के अनुसार इस हॉस्पिटल को मेडिकल कॉलेज बनाने की मांग लगभग 1990 के दशक से शुरू हुई थी, और सन 2013 में सरकार ने इसके कंस्ट्रक्शन के लिए बिल पास किया तथा 2017 से इसके नए बिल्डिंग्स का काम शुरू हुआ जो लगभग 8 सालों के बाद यानी 2025 में पूर्ण हुआ है, इसके कंस्ट्रक्शन का कुल खर्च लगभग 500 करोड़ रुपए है।
अधीक्षकों की सूची
MJK अस्पताल, बेतिया में अधीक्षकों की सूची 1 फरवरी 1961 से 9 अप्रैल 2018 तक उपलब्ध है, जिसमें कुल 54 अधिकारियों के नाम और उनकी कार्यकाल अवधि दर्ज है। सूची में क्रमांक 2 पर डॉ. मिस टी.के. सुंदरम का नाम शामिल है, जिन्होंने 30 अप्रैल 1965 से 26 नवंबर 1967 तक अपनी सेवाएँ दीं। मैंने स्वयं उनके कार्यकाल की अवधि देखी है। उस समय, उनका प्रबंधन स्तर AIIMS के समान माना जाता था। आज भी लोग उनके कार्यकाल को याद करते हुए उनकी प्रशंसा करते हैं।
निष्कर्ष:
GMCH Bettiah न केवल बेतिया की चिकित्सा शिक्षा का केंद्र है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक विरासत का भी एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। 1892 में महाराजा हरेंद्र किशोर द्वारा स्थापित यह संस्थान कई दौर से गुजरा—ब्रिटिश शासन के दौरान लेडी डफरिन अस्पताल, फिर महारानी जानकी कुँवर अस्पताल, और अंततः 2007 में इसे गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, बेतिया (GMCH Bettiah) का नाम मिला। 1934 के भूकंप से लेकर आधुनिक मेडिकल कॉलेज बनने तक, इस अस्पताल की यात्रा इतिहास, संस्कृति और चिकित्सा सेवा का एक अनूठा संगम दर्शाती है।
आज GMCH Bettiah आधुनिक सुविधाओं से लैस एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान है, जिसमें MBBS से लेकर विभिन्न पोस्टग्रेजुएट(PG) और पैरामेडिकल कोर्स उपलब्ध हैं। 500 बेड की क्षमता, ICU, कैजुअलिटी वार्ड, और अन्य चिकित्सा सुविधाओं के साथ यह अस्पताल न केवल पश्चिम चंपारण बल्कि पूरे बिहार के स्वास्थ्य सेवाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
समय के साथ इस संस्थान ने न केवल चिकित्सा सेवाओं में उत्कृष्टता हासिल की, बल्कि कई योग्य चिकित्सकों और विशेषज्ञों को भी तैयार किया। अधीक्षकों की ऐतिहासिक सूची से यह स्पष्ट होता है कि इसके प्रबंधन में कई उत्कृष्ट व्यक्तियों का योगदान रहा है, जिनमें से कुछ के कार्यकाल को आज भी सराहा जाता है।
GMCH Bettiah का यह गौरवशाली सफर इस बात का प्रमाण है कि एक संस्थान केवल ईंट-पत्थरों से नहीं बनता, बल्कि उसके पीछे का इतिहास, संघर्ष, और समाज के प्रति योगदान ही उसे महान बनाते हैं।
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